• श्रीमती बसंतीबाई चांडक साहित्य पुरस्कार समिति,अकोला

वर्ष २०२२ के पुरस्कार प्राप्त विजेता
श्रीमाती विना राठी,भीलवाड़ा, राजस्थान
श्रीमती बसंतीबाई लक्ष्मीनारायण चांडक चेरिटेबल रिसर्च फाउंडेशन, अकोला सेवा के अनेक क्षेत्रो में अप्रतिम योगदान दे रहा है। बुजुर्गो की सेवा का कार्य हो या समाज में भवन निर्माण हो या शिक्षा के क्षेत्र में स्कूल बनवाना सभी में इस ट्रस्ट का सेवा सहयोग प्रथम पंक्ति में रहा है। बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय के सिद्धांत को चरितार्थ करते हुए स्व. श्री. लक्ष्मीनारायण चांडक ने अकोला के अपने निवास को नेत्र चिकित्सालय में बदला और मेनेजिंग ट्रस्टी के रुप में श्री श्याम चांडक व श्रीमती सरला चांडक ने इस अस्पताल को सुविधाओ से युक्त करवा कर अपना अमुल्य योगदान दिया। इस नेत्रालय की वजह से कई लोगो ने नेत्रदान करके दूसरो के जीवन में ज्योति भर दी। यह तो हुये मानव सेवा के आयाम। दूसरी और चांडक ट्रस्ट ने शिक्षा प्रोत्साहन के क्षेत्र में अति विशिष्ट कार्य किये। इसमें महिला लेखनी को प्रोत्साहित करने के लिए पुरे भारत से उनकी लिखी पुस्तक को आमंत्रित कर किसी एक योग्य पुस्तक को सर्वोत्कृस्ट श्रीमाती बसंती साहित्य पुरस्कर से विभूषित करते है। इस बार 2022 का यह पुरस्कार मुझे (श्रीमाती विना राठी) प्राप्त होने का सौभग्य मिला, जिससे मैंने अपने आप को अत्यधिक गौरवान्वित मह्सुस किया, इसकी वजह से मुझे पूरे भारतीय माहेश्वरी समाज में एक नई पहचान मिली, मुझे सदैव ये क्षण याद रहेंगे। मैं श्रीमाती बसंतीबाई चांडक साहित्य समिति ट्रस्ट की सदैव आभारी रहुंगी, यदि उनकी सोच महिला लेखनी के प्रती इतनी उच्च न होती तो में इस सम्मान से वंचित रह जाती। माहेश्वरी नगर, जिला प्रवेश अंचल आदि से तो मुझे प्रोत्साहन व बधाईया मिली ही पर अन्य समाज से भी ट्रस्ट को प्रशंसा और मुझे सम्मान मिला।


ट्रस्ट का आगामी कदम अत्यंत महत्वपूर्ण व स्वागत योग्य है कि वे उन महिलाओ को भी पुस्तक छपवाने में सहयोग करेंगे जो यहा तक नहीं पहुंच पाती है। मै पुन:आभार व्यक्त करती हूँ कि मुझे मेरी पुस्त्क “ अतीत के झरोखे” की वजह से चांडक परिवार और इस ट्रस्ट का साथ मिला।

श्रीमाती विना राठी, (श्रीमती बसंतीबाई एल. चांडक माहेश्वरी महिला साहित्यकार पुरस्कार- 2022) से सम्मानित भीलवाड़ा -राजस्थान

वर्ष २०२० के पुरस्कार प्राप्त विजेता
श्रीमति विमल भंडारी, सलुम्बर, राजस्थान
27 दिसंबर 2020 का दिन, पौष माह की ठंडक लिए नागपुर के अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महासभा का सभागार, कोरोना वायरस के डर के बावजूद वहां की सभी कुर्सियां पूरी तरह से भरी हुई थी। माहेश्वरी समाज महिला साहित्य लेखन को प्रोत्साहित करने राशि ₹1,00,000 और 100 ग्राम चांदी के सिक्के से पुरस्कृत करने की योजना लिए प्रतिबद्ध था। श्रीमती बसंतीबाई लक्ष्मीनारायण चांडक रिसर्च फॉउंडेशन, अकोला जो कि एक सेवाभावी संस्था है। फॉउंडेशन द्वारा वर्ष 2019 से साहित्य के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान के लिये प्रतिवर्ष साहित्य पुरस्कार कि घोषणा करने और विजेता को पुरस्कार देने के लिए है अपने साथ अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महासभा को साथ लिए आज अपनी इस वर्ष की प्रतिबद्धता को पूरी करने जा रहा था।

समाज की महिलाओं मे छिपी हुई प्रतिभा को उभारने, उनके चिंतन को सार्वभोम करने और लिखने – पढ़ने को प्रोत्साहित करने के लक्ष्य को लेकर यह पुरस्कार दिया जा रहा है। हम स्वीकार करते है कि जब तक व्यवस्था में स्त्रियों को उचित और सम्मान, पूर्ण रूप से नहीं मिलता तब तक घर-परिवार और समाज उसे ऊँचाई तक नहीं पहुँचा सकता। जिस पर हम सब उसे देखना चाहते है।
आदरणीय माँ बसंतीदेवी चांडक स्त्री को परिवार की धुरी कहती थी और इसीलिये यह पुरस्कार उनकी स्मृतियों को वंदन करते हुए सुशिक्षित और सबल नारियों के लिये प्रस्तावित है। साहित्य क्षेत्र में सेवारत महिलाओं के लिये यह उपक्रम चलाना ट्रस्ट का मानस है। माहेश्वरी समाज में इस प्रकार का महिलाओं के लिये दिया जानेवाला प्रथम पुरस्कार है। उनकी उन्नत सोच की ही यह परिष्कृत परिणीति है। जब कोई अच्छा करने की सोचता है इस विचार को पोषण देने के लिए कई हाथ, साथ देने आकर जुड़ जाते हैं।

मंच से पुरस्कार विजेता की घोषणा के बाद रमेश जी परतानी ने पुरस्कार पाने वाली पुस्तक अध्यात्म का वह दिन पर चर्चा की और फिर मुझे मंच पर पुरस्कार ग्रहण करने का आमंत्रण दिया। पुरस्कार लेने का वह पल भावविभोर कर देने वाला था। माहेश्वरी समाज के अग्रज द्वारा सजाए गए इस मंच पर सम्मान के गौरव से मैं अभिभूत थी। किसी लड़की के जन्म को बोझ और तिरस्कार की नजर से देखे जाने वाली मानसिकता के तत्कालीन समाज का यह दौर जहां रहा हो। जहां केवल समाज ही नहीं खुद उसके जनक उसे दोयम मानते रहे हो, हालांकि अपवाद भी थे। मेरे पिता ने कभी मुझे अपने पुत्र से कम नहीं माना। अपने सामर्थ्य और समग्रता से मेरा लालन-पालन किया फिर भी हम जिस समाज में जीते हैं वहां लड़की के लिए वर्जनाएं अधिक है। पैरामीटर अलग है। लिंगभेद का दंश तमाम उम्र उसके विकास में पीछा नहीं छोड़ता। वहीं, उसी समाज में स्त्री को उसके कौशल के कारण नवाजा जाए तो समस्त परिवारजन का, नगर वासियों का और खुद स्त्री का सीना गर्व से भर जाता है। स्मिता गर्व के इसी उन्माद को मैंने उन क्षणों में जिया है। साथ ही चैतन्य मन ने मेरी कलमकर्म के प्रति प्रतिबद्धता को गहरा करने के साथ इसकी गुणवत्ता को समाज हितार्थ बनाने के प्रति जागरूक भी किया है। मेरी जिम्मेदारी बढ़ी है। जवाबदेही भी बढ़ी है।

प्रेम-आदर, आथित्य और सम्मान से भरी यादें संजो, अपने नगर सलूंबर लौटा आई। जहां परिजन और समाज के इष्ट मित्रों ने दीप सजाकर आरती उतारकर फूलों का हार पहनाकर मेरा स्वागत किया। कहते भी हैं और लिखते भी हैं कि महिला समाज की धुरी है। उसका पढ़ालिखा होना समाज की संपन्नता का प्रतीक है। उसका साहित्य में प्रवृत्त होना संपन्नता के वैभव का प्रतीक है।
*डॉ विमला भंडारी (बसंतीबाई एल. चांडक माहेश्वरी महिला साहित्यकार पुरस्कार- 2020) से सम्मानित*

वर्ष २०१९ के पुरस्कार प्राप्त पहिली विजेता
सुश्री बबीता माँधणा, हावरा, प. बंगाल
30 नवम्बर 2019 की वह अविस्मरणीय संध्या*
यादों के अमिट पटल पर स्थायी रुप से अंकित है, *30 नवम्बर 2019 की वह अविस्मरणीय संध्या* जब अकोला में एक भव्य समारोह में मुझे अपनी प्रथम प्रकाशित पुस्तक *खुशी के मोती (बाल कथा संग्रह)* के लिए *बसंतीबाई चांडक साहित्यकार पुरस्कार* से सम्मानित किया गया | मुझे एक क्षण के लिए भी नहीं लगा कि मैं पहली बार सबसे मिली, सबसे इतना स्नेह और सम्मान मिला जो मेरे जीवन की अमूल्य निधि के रुप में चिर स्थायी रूप से संचित रहेगा |

कहते है साहित्य समाज का ज्वलंत चित्रण करके इतिहास के पन्नों में अपना स्थान सुरक्षित करता है | साहित्य की रचना जिस साहित्यकार द्वारा की जाती है, उसे समाज में सम्मानित करना अपनेआप में गौरव का विषय है और *श्रीमती बसंतीबाई लक्ष्मीनारायण चांडक रिसर्च फाउंडेशन, अकोला* ने इस परंपरा की शुरुआत की, इसके लिए इसके समस्त पदाधिकारी बधाई के पात्र हैं।
ट्रस्ट के प्रधान न्यासी आदरणीय श्यामजी चांडक के द्वारा प्रति वर्ष उत्कृष्ट माहेश्वरी महिला साहित्यकार को उनकी उत्तम प्रकाशित कृति के लिए पुरस्कार प्रदान करना सामाजिक परिप्रेक्ष्य में अगला प्रशंसनीय कदम है जिससे महिला साहित्यकारों की लेखनी को उन्नति की धार मिलेगी और समाज और देश को सांस्कृतिक संबल | महिला साहित्यकार को पुरस्कृत करना अपनेआप में गहन दूरदर्शिता का परिचायक है क्योंकि महिला अपने परिवार का केंद्रबिंदु और भावी पीढ़ी की कर्णधार होती है | उनका साहित्य दायित्व बोध से ओत-प्रोत होता है |

पुरस्कार प्राप्त करने के बाद से मेरे जीवन में सुखद परिवर्तन आए, सर्वप्रथम तो अपने समाज से गहरे रुप में जुड़ने का स्वर्णिम अवसर मिला | समाज के लिए कुछ अच्छा करने की प्रेरणा भी मिली | जीवन यात्रा में लेखन महत्वपूर्ण साधन बनकर मेरा मार्गदर्शन कर रहा है | पुरस्कार हमें निश्चित रुप से प्रोत्साहन और संबल प्रदान करते हैं और सामाजिक जागरूकता के लिए कल्याणकारी कार्य करने की प्रेरणा भी देते हैं |

इस के अतिरिक्त भी * श्रीमती बसंतीबाई लक्ष्मीनारायण चांडक रिसर्च फाउंडेशन, अकोला * द्वारा अन्य कई सामाजिक कार्य किये जा रहे हैं जिनमें से प्रमुख है बसंती अस्पताल का संचालन जो कि निम्नतर दरों पर चिकित्सीय सहायता प्रदान करता है। इस अस्पताल में दो लाख से कम वार्षिक आय वाले माहेश्वरी परिवार के मरीजों को डायलिसिस की सुविधा भी निःशुल्क प्रदान की जाती है | बसंती अस्पताल दक्ष मेडिकल दल और आधुनिकतम उपकरणों का उपयोग करके जनहित का पावन कार्य कर रहा है | ट्रस्ट शिक्षा के लिए नियमित रुप से प्रतिवर्ष कन्याओं को छात्रावृत्ति और सहायता भी देता है ।

मैं, आदरणीय श्यामजी चांडक, आदरणीय रमेशजी परतानी और चयन समिति के समस्त पदाधिकारियों को ह्रदय तल से धन्यवाद और शुभकामनाएँ देती हूँ जिन्होंने अपनी उन्नत सोच और उदार दृष्टिकोण से माहेश्वरी समाज और देश को गौरवान्वित किया है | उनकी क्रियाशीलता प्रेरक, अनुकरणीय और अत्यंत सराहनीय है ।
*बबीता माँधणा (बसंतीबाई एल. चांडक माहेश्वरी महिला साहित्यकार पुरस्कार- 2019) से सम्मानित*

विशेष अतिथी वर्ष २०१९
श्रीमती रूपल मोहता, वर्ष 2018 की मिसेस इंडीया, 2019 की मिसेस इंडीया युनिवर्स, मुंबई
किसी भी सामाजिक संस्था का परिचय उसके नाम से नहीं बल्कि उसके कार्य से ही होता है ऐसी ही जरूरतमंदों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा प्रदान करने वाली अकोला स्थित संस्था है श्रीमती बसंतीबाई लक्ष्मीनारायण चांडक रिसर्च एंड फाउंडेशन।
इसके माध्यम से प्रतिवर्ष सहस्र रोगियों को निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा प्रदान की जाती है।
इसके अलावा महेश्वरी समाज की महिलाओं की सुप्त साहित्यिक प्रतिभाओं को निखारने की दृष्टि से उनमें - मनन -चिंतन की क्षमताएं विकसित होने का मार्ग प्रशस्त करने के प्रतिबद्धता से भी यहा संस्था कार्यरत है। जिसमें प्रतिवर्ष अखिल भारतीय स्तर पर उत्कृष्ट माहेश्वरी महिला द्वारा लिखित साहित्य को ₹1लाख नगद एवं 100 ग्राम चांदी का सिक्का पुरस्कार के रुप में प्रदान किया जाता है। इस हेतु प्रतिवर्ष ख्यानाम साहित्यकार एवं समाज के गणमान्य व्यक्तियों के उपस्थिति में सुंदर कार्यक्रम आयोजन भी किया जाता है।
वास्तव में वंचितों के जीवन स्तर का उत्थान एवं सांस्कृतिक विरासत का जतन तथा महिला उत्थान की भावना से पूरित एक मिशन के रूप में समर्पित भाव से कार्य करने वाली यह संस्था निरंतर अपने उद्देश्य पूर्ति में कदम दर कदम बढ़ती रहे यही ईश्वर से कामना करती हूं।

दिल में हम ने ठान लिया है,
जीवन का मक़सद जान लिया है
मानवता को पहचान लिया है
समाज सेवा ही धर्म हमने मान लिया है।

यह प्रयोजन सभी के लिये प्रेरणादायी है।
श्रीमती रूपल मोहता,
वर्ष 2018 की मिसेस इंडीया,
2019 की मिसेस इंडीया युनिवर्स, मुंबई


नामों की सूची जिन्होंने भाग लिया है
  • १. श्रीमती सूर्यमाला मालानी, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
  • ३. श्रीमती स्वाति हेडा, लातूर, महाराष्ट्र
  • ५. श्रीमती सुनीता महेश्वरी, नाशिक , महाराष्ट्र
  • ७. श्रीमती सुनीता मुंधरा, मालेगांव, महाराष्ट्र
  • ९. श्रीमती सुनीता माल, गोंदिया, महाराष्ट्र
  • ११. श्रीमती दीपा बंग, पराली वैजयनाथ, महाराष्ट्र
  • १३. श्रीमती माया दिलीप धुप्पड़ जलगांव, महाराष्ट्र
  • १५. श्रीमती सुवर्णा परतानी, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश
  • १७. श्रीमती मधुलिका मोहत, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
  • १९. श्रीमती पूर्णिमा सारदा, सांगली, महाराष्ट्र
  • २१. श्रीमती सीमा सुखदेव जाजू, मालेगांव, महाराष्ट्र
  • २३. श्रीमती सुरेखा मोहता, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
  • २५. श्रीमती विमला सोनी, कोलकाता, कर्नाटक
  • २७. डॉ सुरेखा नथानी अकोला, महाराष्ट्र
  • २९. श्रीमती कविता संजय झंवर, जलगांव, महाराष्ट्र
  • ३१. श्रीमती विमला भंडारी, सालंबर, उदयपुर (राज)
  • ३३. श्रीमती अश्विनी बिहानी, परभणी, महाराष्ट्र
  • ३५. श्रीमती पद्मा रा. राठी, मुलुंड, महाराष्ट्र
  • ३७. डॉ रीना मालपानी, पुणे, महाराष्ट्र
  • ३९. श्रीमती अंशु सारदा, गुवाहाटी, आसाम
  • ४१. श्रीमती बीना वी. राठी, अमरावती, महाराष्ट्र
  • ४३. श्रीमती कविता देवेंद्रजी मालपानी, अमरावती, महाराष्ट्र
  • ४५. श्रीमती सारिका मुंदडा, नसीराबाद, राजस्थान
  • ४७. डॉ. आभा महेश्वरी, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
  • ४९. सीएमए ज्योति महेश्वरी, ब्यावर, राजस्थान
  • २. श्रीमती कंचनमणि बट्टड, मदंगंग, राजस्थान
  • ४. श्रीमती बबिता मंधाना, हावड़ा, पश्चिम बंगाल
  • ६. श्रीमती ज्योति गांधी, दिल्ली
  • ८. श्रीमती विमला जाजू पाली, मोरवाड, राजस्थान
  • १०. श्रीमती संतोष राठी, सरोली, सूरत
  • १२. श्रीमती श्रीनिवासजी बियानी, अहमदनगर, महाराष्ट्र
  • १४. श्रीमती डॉ शैलजा एन भट्टड, बंगलौर, कर्नाटक
  • १६ .श्रीमती कुमुदिनी भार्गव, लातूर, महाराष्ट्र
  • १८. श्रीमती स्वाति सरू जैसलमेरिया, जोधपुर, राजस्थान
  • २०. श्रीमती मंजुला भुट्टडा, इंदौर, एमपी
  • २२. श्रीमती राधिका अनिल राठी, शाहदा, महाराष्ट्र
  • २४. श्रीमती कलावती करवा, बंगलौर कर्नाटक
  • २६. श्रीमती रेखा लकोटिया, नागपुर, महाराष्ट्र
  • २८. श्रीमती भगवती बिहानी, चूरू, राजस्थान
  • ३०. रजनी राठी अमरावती, महाराष्ट्र
  • ३२. श्रीमती रुक्मण लड्डा, अंधेरी, महाराष्ट्र
  • ३४. श्रीमती अंजना चांडक, बंगलौर, कर्नाटक
  • ३६. श्रीमती शिला टाओरी, मलकापुर, महाराष्ट्र
  • ३८. श्रीमती पुष्पा देवी सोनी, आसाम
  • ४०. श्रीमती सत्या काबरा, बड़ौदा, गुजरात
  • ४२. श्रीमती भाग्यश्री दीपक सोनी, जलगाँव, महाराष्ट्र
  • ४४. श्रीमती वीणा राठी, भीलवाड़ा, राजस्थान
  • ४६. श्रीमती शशि लाहोटी, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
  • ४८. श्रीमती रीना मालपानी, पुणे, महाराष्ट्र
  • ५०. श्रीमती उषा सोमानी, चित्तौड़गढ़, राजस्थान